राज्य ललित कला अकादमी, उत्तर प्रदेश, की स्थापना 08 फरवरी 1962 को संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार की पूर्ण वित्त पोषित स्वायत्तशासी संस्था के रूप में गयी थी। डॉ. सम्पूर्णानंद (तत्कालीन मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश) इसके पहले अध्यक्ष हुये। अकादमी का कार्यालय लाल बारादरी भवन, कैसरबाग में स्थित है, जो एक ऐतिहासिक स्मारक है, जिसका निर्माण अवध के नवाबो के ताजपोशी के लिए 1798-1814 के मध्य किया गया था। इस भवन में सआदत अली खान ताज पहनने वाले पहले शासक थे। अवध के अंतिम शासक वाजिद अली शाह का ताजपोशी समारोह 13 फरवरी 1847 को इस ऐतिहासिक इमारत में आयोजित किया गया था।
उद्देश्य
चित्रकला, मूर्तिकला वास्तुकला और लोक कला के क्षेत्र में अध्ययन और अनुसंधान को प्रोत्साहित उनके उन्नययन के लिए कलाकारों और कला संघों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना और ऐसे संघों की स्थापना और विकास को प्रोत्साहित करना।विभिन्न संगठनों कीमान्यता देने के लिए और अन्यथा अनुमोदित कला संघों की सहायता करना। दृश्य कला पर साहित्य के प्रकाशन को बढ़ावा देने के लिए, जिसमें मोनोग्राफ, जर्नल, आर्ट एल्बम, आदि शामिल हैं।चित्रों के साथ-साथ आधुनिक मूर्तियों की वीथिका स्थापित करना। चित्रों और मूर्तियों की प्रदर्शनियों के आयोजन के साथ उनकी बिक्री के लिए प्रयास करना। कला पर लोकप्रिय व्याख्यान आयोजित करना। भारतीय और विदेशी कला पुस्तकों पर आधारित पुस्तकालय एवं वाचनालय की व्यवस्था। योग्य कलाकारों को छात्रवृत्ति और पुरस्कार देना। उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए कलाकारों को अकादमी अधिसदस्यता से सम्मान व लोक कला के पुनरुद्धार और विकास को प्रोत्साहित करना। पारंपरिक कला और शिल्प तकनीकों के अध्ययन को बढ़ावा देना और स्वदेशी कारीगरों, चित्रकारों और मूर्तिकारों को प्रोत्साहित करने के लिए सर्वेक्षणों का आयोजन करना। शिक्षण और पुरस्कार के मानक में एकरूपता के लिए प्रयास करना।